जानिये, तीन बार क्यों दोहराया जाता है शांति पाठ ?
शांति पाठ:
मंत्रोच्चार के बाद शांति शब्द को तीन बार दोहराने के पीछे सबसे बड़ा और गहन कारण है, त्रिवरम सत्यमं। ऐसी मान्यता है कि “त्रिवरम सत्यमं ” अर्थात तीन बार कहने से कोई बात सत्य हो जाती हैं। पहली बार उच्च स्वर में दैवीय शक्ति को संबोधित किया जाता है। दूसरी बार कुछ धीमे स्वर में अपने आस-पास के वातावरण और व्यक्तियों को संबोधित किया जाता है और तीसरी बार बिलकुल धीमे स्वर में अपने आपको संबोधित किया जाता है।
शांति पाठ
शांति पाठ मंत्र के जरिये साधक ईश्वर से शांति बनाये रखने की प्रार्थना करता है। विशेषकर हिंदू संप्रदाय के लोग अपने किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस शांति पाठ के मंत्रों का मंत्रोच्चारण करते हैं। इस मंत्र के जरिये कुल मिलाकर जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति में शांति बनी रहे इसकी प्रार्थना की गई है।
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥